
मैं हूँ तेरे मन की ज्वाला, अंधेरी राहों का उजाला।सपनों की बुनियाद मैं रखता, हर जीत की सीढ़ी मैं बनता।
कोयले को सोना कर दूं, अंधेरों में दीप जला दूं।खुशियों का मोल सिखाने वाला, संघर्ष हूँ मैं, तुझको जगाने वाला ।
हर खोज की जननी मैं बनूं, हर धड़कन में लय बन गूंजूं।तप की ज्वाला मुझसे जलती, सोए अरमानों को मैं संजोती।
सिद्धार्थ को बुद्ध बनाया मैंने, वर्धमान को महावीर रचाया मैंने।तप की अग्नि में घुल-घुल जाऊं, तेरी आत्मा में शक्ति बन आऊं।
तेरा सच्चा साथी हूँ मैं,आलस से लड़ने को आता हूं मैं।संघर्ष हूँ मैं, मुझे पुकार, हर प्रसिद्ध , कामयाबी का मैं पहले और आखिरी हथियार!
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